माता पिता अपनी संतान से जितना प्यार करते है, शायद ही कोई अन्य करता होगा। कहते है- “माँ की ममता आँसू से और पिता की फिक्र डांट से पता चलती है” मगर सबके नसीब में पिता का प्यार नहीं लिखा होता। मेरी यह कविता एक ऐसे ही पुत्र की पीड़ा ओर उसके मन में उठने वाले सवालो को दर्शाती है, आशा करता हूँ आपको पसंद आएगा...
मेरे धोखेबाज पिता
देश
के लिए हमे तन्हा छोड़ गए
हमसे
किया हर एक वादा तोड़ गए
कितना
कठोर है उनका हृदय
आँखों
में एक भी अश्क नहीं
माँ!
उन्हे पिता कहलाने का भी हक नहीं।
वो
साल में एक बार
हमसे मिलने आते है
बटुए
में रखते हमारी
फोटो
सिने
में तिरंगा
लगाते है
माँ!
वो हमसे झूठा प्यार जताते है।
उनके
आने का इंतज़ार था
आए
लेकिन लिपटे तिरंगे में
जिसे
पसंद थी रंग बिरंगी साड़ी
उसे
श्वेत वस्त्र का उपहार दिया
माँ!
पिता ने ये तुझसे कैसा प्यार किया?
आज
भी जब देखता हूँ
दीवार
में टंगी उनकी फोटो को
सिसक
सिसक के रोते अपनी माँ के होठो को
उनसे
नफरत मैरी और भी बड़ती जाती है
माँ!
तू एक धोखेबाज को क्यों इतना चाहती है?
★★★
॥ All rights reserved॥
अगर आपको सौनिक पर समर्पित यह कविता "मेरे धोखेबाज़ पिता" पसंद आयी हो, तो इसे नीचे दिये गए शेयर बटन पर क्लिक करके अपने मित्रों के साथ सांझा करना न भूले। आपका अपना लोकेश वशिष्ठ..🙏
Tags:- Mere dhokhebaaz pita poem on father, lokesh vashist poem on Indian Army Soldier in hindi, desh bhakti kavita, fauji par kavita...