मेरे धोखेबाज पिता । poem on Indian Soldier

Poem on indain army,  desh bhakti kavita by lokesh vashist

माता पिता अपनी संतान से जितना प्यार करते हैशायद ही कोई अन्य करता होगा। कहते है- माँ की ममता आँसू से और पिता की फिक्र डांट से पता चलती है मगर सबके नसीब में पिता का प्यार नहीं लिखा होता। मेरी यह कविता एक ऐसे ही पुत्र की पीड़ा ओर उसके मन में उठने वाले सवालो को दर्शाती हैआशा करता हूँ आपको पसंद आएगा...



  मेरे धोखेबाज पिता   


देश के लिए हमे तन्हा छोड़ गए
हमसे किया हर एक वादा तोड़ गए
कितना कठोर है उनका हृदय
आँखों में एक भी अश्क नहीं
माँ! उन्हे पिता कहलाने का भी हक नहीं। 


वो साल में एक बार
हमसे मिलने आते है
बटुए में रखते हमारी फोटो
सिने में तिरंगा लगाते है
माँ! वो हमसे झूठा प्यार जताते है।  


उनके आने का इंतज़ार था
आए लेकिन लिपटे तिरंगे में
जिसे पसंद थी रंग बिरंगी साड़ी
उसे श्वेत वस्त्र का उपहार दिया
माँ! पिता ने ये तुझसे कैसा प्यार किया?


आज भी जब देखता हूँ
दीवार में टंगी उनकी फोटो को
सिसक सिसक के रोते अपनी माँ के होठो को
उनसे नफरत मैरी और भी बड़ती जाती है
माँ! तू एक धोखेबाज को क्यों इतना चाहती है?



★★★
॥ All rights reserved॥ 


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