मैं हर रोज़ एक सपना सजाता हूँ
मैं हर रोज़ एक सपना सजाता हूँ
गैर होकर भी तुझे अपना बनाता हूं
तुझे कभी तो मेरे प्यार की कद्र होगी,
रोज़ ये बात अपने दिल को समझाता हूँ
नजदीक से गुजरे पर देखा तक नही,
तेरी हर बेरुखी को संयोग बताता हूँ
वो शक्ल से भी मेरी नफरत करते है,
जिनकी फ़ोटो में तकिए से दबाता हूँ।।
॥ All rights reserved॥
अगर आपको यह गजल पसंद आया हो, तो इसे नीचे दिये गए शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ सांझा करना न भूले। आपका अपना लोकेश वशिष्ठ..🙏
Tags:- mai har roz ek sapna sajata hun gazal, gazal poetry in hindi, sad gazal, pyaar par gazal, Lokesh vashist gazal on love